देहरादून। उत्तराखंड में किसानों, सहकारिता से जुड़े जनप्रतिनिधियों की ट्रेनिंग, स्किल डेवलपमेंट को बनाए गए प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन (पीसीयू) में करोड़ों की हेराफेरी की गई है। किसानों के धान खरीद के करोड़ों रूपये के गबन का मामला अब पुलिस जांच तक पहुंच गया है। इस पीसीयू में बोर्ड का गठन होने से पहले जमकर वित्तीय गड़बड़ियां, घपले हुए। किसानों की धान खरीद को बैंकों से ओवरंड्रा कर लिए गए पैसे का जमकर दुरुपयोग हुआ। किसानों के पैसों से अफसरों ने की मौज, हवाई यात्रा की। उक्त पैसा अफसरों के दूर, हवाई टिकटों तक पर खर्च कर दिया गया । शासन ने इस पूरे प्रकरण की जांच को तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया है जिसमें अपर निबंधक ईरा उप्रेती, संयुक्त निबंधक मंगला प्रसाद त्रिपाठी, सहायक निबंधक राजेश चौहान शामिल हैं। दरअसल पीसीयू के गठन के दौरान शुरू हुए इन घपलों पर बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद से खुलासे होने शुरू हुए। पीसीयू ने किसानों से धान खरीद का काम अपने हाथ में लिया। जबकि किसानों से धान और गेंहू खरीद का काम आमतौर पर राज्य सहकारी संघ ही करता है। पहली बार ऐसा हुआ जब चौंकाने वाले अंदाज में ये काम पीसीयू के पास पहुंच गया। जबकि पीसीयू का काम एजुकेशन टूर और ट्रेनिंग का है। इस बार धान खरीद केंद्रों से किसानों से धान खरीदा। धान खरीद को बैंकों से लिए गए पैसे को अफसरों ने दूसरे कामों पर डायवर्ट कर दिया। धान खरीद का पैसा अफसरों, कोऑपरेटिव से जुड़े जनप्रतिनिधियों के टूर, हवाई टिकटों पर पैसा खर्च किया गया। सूत्रों के अनुसार कुछ पैसा अफसरों के निजी खचों में भी खपाया गया। इसके साथ ही किसानों को हुए भुगतान में भी जमकर हेराफेरी हुई। करीब दो करोड़ का किसानों को डबल भुगतान तक कर दिया गया। एक निजी कंपनी के खाते तक में 1.40 करोड़, पैसा डायवर्ट किया गया। इन तमाम मामलों का खुलासा होने के बाद पीसीयू के मैनेजर की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है। कुछ पैसे की ही रिकवरी हो पाई। शेष धनराशि की अभी भी बड़ी संख्या में रिकवरी नहीं हो पाई है। इस पर पीसीयू मैनेजमेंट ने एसएसपी देहरादून को पूरे मामले की जांच के साथ मुकदमा दर्ज करने को पत्र सौंप दिया है। रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोनिका ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।