चमोली। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का आगाज हो गया है। बदरीनाथ धाम में वीआईपी व्यवस्था और बामनी गांव को जाने वाले आम रास्ता बंद करने के विरोध तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज और स्थानीय लोग विरोध में उतरे। बदरीनाथ मंदिर परिसर के समीप सभी लोग विरोध प्रदर्शन करने के एकत्रित हुए हैं। पंडा पुरोहितों ने बैकडोर एंट्री को लेकर भी कड़ा विरोध जताया है, साथ ही तीर्थ पुरोहितों की बेरोकटोक मंदिर परिसर में आने जाने की सुविधा देने की मांग की है। पंडा समाज और तीर्थ पुरोहितों ने इसके विरोध में मंदिर परिसर के पास ही बैठकर सांकेतिक धरना दिया। इतना ही नहीं पंडा समाज से आमरण अनशन की चेतावनी दी है। पुरोहितों का कहना है कि मंदिर में वीआईपी कल्चर को खत्म करना होगा साथ ही पुरोहितों के हक हूककों को मंदिर समिति को छीनने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए वे प्रशासन को मांग पत्र भी सौंप रहे हैं। पुरोहितों ने धाम में हो रहे निर्माण कार्यों का भी विरोध जताया है। पुरोहितों का कहना है कि धाम में हो रहे पुर्ननिर्माण के कार्यों की वजह से धाम का पौराणिक अस्तित्व खतरे में हैं।
तीर्थ पुरोहित नरेशआनंद नौटियाल ने कहा कि मंदिर समिति की ओर से वीआईपी कल्चर सिस्टम और हमारे हक हकूकों को छीना जा रहा है। इसके विरोध में पंडा समाज एक जुट होकर विरोध कर रहे हैं। अगर प्रशासन ने पंडा समाज की मांगों पर कार्रवाई नहीं की तो आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। बता दें कि बदरीनाथ के कपाट 12 मई को सुबह 6 बजे खोले गए। कपाटोद्घाटन के बाद से देर सायं तक करीब 20 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। बदरीनाथ धाम के साथ ही यमुनोत्री में भी प्रशासन की ओर से शुरू किए गए गेट सिस्टम और वन वे का विरोध शुरू हो गया है। पंडा पुरोहितों की मांग है कि प्रशासन को यात्रियों को वेबजह परेशान नहीं किया जाना चाहिए। जो यात्री धाम में दर्शन के लिए आना चाहते हैं, उन्हें किसी तरह की रोक नहीं होनी चाहिए। यात्रा के तीन दिन में चारों धामों में डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इसके लिए सबसे अधिक केदारनाथ धाम में 75 हजार से अधिक यात्रियों ने दर्शन किए।