चार दिन तक चलने वाली बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रियाएं आज 14 नवंबर से शुरू हो गईं है । आज धार्मिक परंपरा के अनुसार भगवान बद्रीनाथ की पूजा-अर्चना व भोग लगने के बाद भगवान गणेश मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि गणेश मंदिर बंद होने के बाद आदिकेदारेश्वर भगवान को पके चावलों का भोग लगेगा तत्पश्चात गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए जायेंगे । 16 नवंबर को खड़क पुस्तकों को गर्भगृह में रखने के साथ बदरीनाथ धाम में वेद ऋचाओं का वाचन छह माह के लिए बंद हो जाएगा । इसी क्रम में 17 नवंबर को धाम परिसर में स्थित लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग लगाया जाएगा । चौथे दिन 18 नवंबर को मां लक्ष्मी की प्रतिमा को बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान करके गर्भगृह से कुबेर जी, गरुड़ जी और उद्धव जी की प्रतिमा को बाहर लाकर उत्सव डोली में रखने के उपरांत दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंंगे।