Monday, December 23, 2024

15 कुंतल फूलों से सजाया जा रहा बद्रीनाथ धाम,कल खुलेंगे बद्रीविशाल के कपाट।

केदारनाथ, गंगोत्री- यमुनोत्री के कपाट खुलने के बाद अब बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। भगवान बदरीनाथ की डोली आज शनिवार को धाम पहुंच गई है। बदरीविशाल के जयकारों के बीच बड़ी संख्या में श्रद्धालु धाम पहुंचे हैं। 15 कुंतल फूलों से बदरीनाथ मंदिर को सजाया जा रहा है। कल रविवार सुबह छह बजे बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।

सबसे पहले भगवान बदरी विशाल को यात्राकाल में लगाए जाने वाले तेल को पिराने(पीसने) की प्रक्रिया शुरू हुई। परंपरा है कि भगवान बदरी विशाल को प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे स्नान कराया जाता है। स्नान के उपरांत तिलों के तेल से भगवान बदरी विशाल का लेपन (मालिश) की जाती है।

तिलों के तेल को भगवान के अभिषेक के लिए शुद्ध माना जाता है। साथ ही इसे अखंड ज्याति में भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए इस तेल को सिलबट्टे पर पीसा जाता है। जिससे इसमें कोई मिलावट न हो। परंपरा है कि यह तेल सुहागिन महिलाएं ही पिरोती हैं। यह तेल टिहरी राजदरबार की महारानी के साथ मिलकर पीसा जाता है। इसके बाद इसे एक कलश में रखा जाता है जिसे गाडू घड़ा कहते हैं।

महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह की मौजूदगी में शहर की कई सुहागिनों ने तेल निकाला। गणेश पूजन, मूसल पूजन, ओखल पूजन और अग्नि पूजन के बाद शहर की कई सुहागिनों और महारानी ने पीले वस्त्र धारण कर तिलों को कढ़ाई में भूना और ओखली और सिलबट्टा में पिसाकर तेल निकाला।

गाडू घड़े को 12 मई को सुबह बदरीनाथ के कपाट खुलने के मौके पर गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। गाड़ू घड़ा यात्रा उद्धव और कुबेर की डोली के साथ बदरीनाथ धाम पहुंच गई है।कल रविवार सुबह छह बजे बजे बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही गाडू घड़े को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद रोजाना भगवान बदरी विशाल को इस तेल का लेपन किया जाएगा।

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