Monday, December 23, 2024

मन की चंचलता से निराश होने की जरूरत नहीं -पूनम दीदी


काशीपुर। काशीपुर रामलीला मैदान में पिछले चार दिनों से ब्रह्मा कुमारीज के द्वारा अलविदा तनाव और मेडिटेशन कैंप का आयोजन चल रहा है जिसमें हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं।
मन को कैसे एकाग्र किया जाए और ग्रस्थ जीवन में किस प्रकार से सफल बनाना है इस बात पर विशेष जोर देते हुए आज पूनम दीदी इंदौर के द्वारा बताया गया कि अगर किसी मनुष्य के पास रहने के लिए मकान ना हो तो वह गली-गली में घूमता है कि कहीं कोई खाली मकान रहने के लिए मिले इसी प्रकार आज मन भी इसलिए चंचल रहता है अथवा इसलिए इधर-उधर घूमता है कि कहीं कोई शांति का ठिकाना मिल जाए अतः मन की चंचलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि शांति के सागर परमपिता परमात्मा तथा परमधाम को जानकर मन को वहां ठिकाना दीजिए तो मन शांत हो जाएगा इसी का नाम योगाभ्यास है।
वक्ता के द्वारा बताया गया कि आज कुछ लोग कहते हैं कि गरीबों को अन्न धन देना रोगियों के लिए औषधालय खोलना दूसरों की सेवा करना ही मनुष्य का कर्तव्य है परंतु इस विषय में ध्यान देने के लिए एक नुक्ता यह है कि जितने गरीबों को अन्न धन आदि दान दिया जाता रहा है रोगियों के लिए अस्पताल भी खोले जाते रहे हैं दूसरों की सेवा भी समाज सेवक या पड़ोसी या श्रद्धालु लोग तो करते ही आए हैं परंतु फिर भी आज संसार में किस कर्तव्य की कमी है कि आज भी रोगियों से अस्पताल भरे पड़े हैं नए-नए रोग लोगों को हो रहे हैं करोड़ों लोग आज भी गरीब हैं और लाचार हैं तथा दूसरों की रक्षा तथा सेवा के मोहताज है आज जिस रफ्तार से अस्पताल बढ़ रहे हैं उसी रफ्तार से जनसंख्या और रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है सर्वोत्तम सेवा तो वह सेवा है मनुष्य को कर्तव्य, अकर्तव्य का ज्ञान देकर पुरुषार्थ परायण आत्मनिर्भर और सत्कर्म करने वाला तथा पूर्ण काल में किये अकर्तव्यों को धोने की सामर्थ्य वाला तथा कर्म योगी बनाया जाए।

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